लेखनी प्रतियोगिता -12-Feb-2024दहेज
शंकर छंद
16/10
दहेज
लालच में अंधे हो जाते,बनते असुर आप।
इस दहेज के कारण जग में,बढ़े कितने पाप।।
बेटी जो देते हैं जग में, बड़े वही महान।
श्रेष्ठ सदा से कहलाता है, जग में सुता दान।।
यह दहेज ही लेकर आता,दुखद यह संताप।
इस दहेज के कारण जग में, बढ़े कितने पाप।।
दानव बन कर लील रहे हैं,लोभी सुखद साँस।
यह दहेज ही बना हुआ है,जैसे गला फाँस।।
बढ़ता जाता है निशिदिन ही, दुख पीर परिमाप।
इस दहेज के कारण जग में, बढ़े कितने पाप।।
क्यों दहेज की चाहत रखते,यह है एक रोग।
सद्कर्मों में कर ले मानव, साँस सदा उपयोग।।
रख संतोष जिया में अपने, करके ईश जाप।
इस दहेज के कारण जग में,बढ़े कितने पाप।।
प्रीति चौधरी"मनोरमा"
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश
मौलिक एवं अप्रकाशित।
Shnaya
18-Feb-2024 10:37 AM
Nice one
Reply
Mohammed urooj khan
13-Feb-2024 12:58 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
Reply
Shashank मणि Yadava 'सनम'
13-Feb-2024 07:15 AM
बेहतरीन अभिव्यक्ति
Reply